अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बड़ा व्यापारिक फैसला लेते हुए ऑटो सेक्टर पर भारी शुल्क लगाने की घोषणा की है। ट्रंप प्रशासन ने चीन से आयात होने वाले ऑटो पार्ट्स पर 25% टैरिफ बढ़ा दिया है, जो पहले 10% था। इसके अलावा, अमेरिका ने कनाडा और मैक्सिको से आने वाले वाहनों और ऑटो पार्ट्स पर भी 10% अतिरिक्त शुल्क लगाने का निर्णय लिया है। इस फैसले के बाद अंतरराष्ट्रीय व्यापार जगत में उथल-पुथल मच गई है और चीन, कनाडा व मैक्सिको ने इसका कड़ा विरोध किया है।
चीन-कनाडा-मैक्सिको का पलटवार, WTO जाने की तैयारी
चीन ने अमेरिका के इस फैसले को अनुचित और एकतरफा बताते हुए अपने व्यापारिक हितों की रक्षा के लिए जवाबी कार्रवाई की चेतावनी दी है। वहीं, कनाडा और मैक्सिको ने भी इस टैरिफ के खिलाफ वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गेनाइजेशन (WTO) में शिकायत दर्ज कराने की तैयारी कर दी है। कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने कहा कि यह फैसला दोनों देशों के आर्थिक संबंधों को नुकसान पहुंचा सकता है और कनाडा अपने व्यापारिक हितों की रक्षा के लिए हर संभव कदम उठाएगा।
शेयर बाजार में गिरावट, निवेशकों में चिंता
अमेरिका के इस फैसले के कारण शेयर बाजारों में भी भारी गिरावट दर्ज की गई। अमेरिकी स्टॉक मार्केट के प्रमुख इंडेक्स S&P 500 में 2% की गिरावट आई, जबकि Nasdaq 2.64% तक लुढ़क गया। यूरोप और एशिया के शेयर बाजारों में भी इस फैसले के असर से गिरावट देखी गई। ट्रेड वॉर की आशंका के चलते निवेशकों में चिंता बढ़ गई है और कई बड़ी कंपनियों के शेयरों में भारी बिकवाली दर्ज की गई है।
यूक्रेन को झटका, अमेरिका ने सैन्य सहायता पर लगाई अस्थायी रोक
दूसरी ओर, अमेरिका और यूक्रेन के बीच जारी सैन्य मदद पर भी एक बड़ा फैसला सामने आया है। अमेरिका ने यूक्रेन को दी जाने वाली सभी प्रकार की सैन्य सहायता को अस्थायी रूप से रोक दिया है। राष्ट्रपति व्लादिमीर जेलेंस्की ने इस फैसले को यूक्रेन के लिए झटका करार दिया है और कहा है कि यह निर्णय रूस के खिलाफ उनकी सैन्य रणनीति को कमजोर कर सकता है। अमेरिका ने हालांकि यह स्पष्ट किया है कि यह केवल अस्थायी रोक है, लेकिन इस फैसले ने यूक्रेन को मुश्किल स्थिति में डाल दिया है।
वैश्विक व्यापार और कूटनीति में बढ़ता तनाव
अमेरिका के इन बड़े फैसलों के बाद वैश्विक व्यापार और सुरक्षा मामलों में भारी उथल-पुथल मची हुई है। आने वाले दिनों में देखना होगा कि अन्य देश इस फैसले पर क्या प्रतिक्रिया देते हैं और क्या वाकई यह वैश्विक स्तर पर एक नई टैरिफ वॉर की शुरुआत होगी।