Mutual Fund 2025: 2025 का वर्ष भारतीय म्युचुअल फंड्स के लिए काफी महत्वपूर्ण और चुनौतियों भरा रहा है। जहां पहले थीमैटिक और सेक्टरल फंड्स ने अच्छी लंबी अवधि की बढ़त देखी थी, वहीं इस साल ये दोनों कैटेगरी बाज़ार की अनिश्चितताओं और कमजोर रिटर्न की वजह से नीचे आई हैं। इसके विपरीत, हाइब्रिड और बैलेंस्ड फंड्स ने तेज़ी पकड़ ली है, जो निवेशकों के लिए जोखिम के साथ-साथ स्थिरता का संतुलन प्रदान कर रहे हैं। इस व्यापक रिपोर्ट में हम सबसे ताज़ा आंकड़ों और प्रवृत्तियों का विश्लेषण प्रस्तुत कर रहे हैं।
थीमैटिक और सेक्टरल फंड्स: मंदी और चुनौतियां
थीमैटिक और सेक्टरल फंड्स, जो विशेष रूप से कुछ क्षेत्र या थीम पर केंद्रित निवेश करते हैं, ने 2023 और 2024 के शुरुआती महीनों में जबरदस्त निवेश आकर्षित किया। परंतु 2025 में इन फंड्स का चलन धीरे-धीरे फीका पड़ गया।
- दिसंबर 2024 में ₹15,000 करोड़ से अधिक की शुद्ध प्रवाह (नेट इनफ्लो) थी, जो जून 2025 तक मात्र ₹476 करोड़ रह गई।
- जुलाई 2025 तक इन फंड्स का एसेट्स अंडर मैनेजमेंट (AUM) लगभग ₹4.9 लाख करोड़ के आसपास है और AMFI के अनुसार 211 थीमैटिक स्कीम्स सक्रिय हैं, जिनमें से 43 नई स्कीम्स पिछले साल लॉन्च हुई हैं।
- प्रदर्शन की बात करें तो, पिछले 12 महीनों में 168 फंड्स में से 97 ने नकारात्मक रिटर्न दिए हैं। हालांकि कुछ चुनिंदा फंड्स ने बेहतर प्रदर्शन किया है जैसे कि WhiteOak Capital Pharma & Healthcare Fund और Nippon India Taiwan Equity Fund, जिन्होंने 32% की ऐनुवल रिटर्न्स दी हैं।
- सेक्टरल फंड्स के कुछ विशेष क्षेत्र जैसे इंफ्रास्ट्रक्चर, मैन्युफैक्चरिंग, डिजिटल टेक्नोलॉजी, और हेल्थकेयर ने 5-वर्षीय CAGR में 33% तक की बढ़त दिखाई है। यह हालांकि उच्च जोखिम वाले निवेश हैं और इनमें धैर्य आवश्यक है।
- हाल ही में लॉन्च हुए नए फंड ऑफर्स (NFOs) ने भी अच्छा फंड जुटाया है, परंतु अधिकांश का प्रदर्शन निफ्टी 500 जैसे बड़े मार्केट इंडेक्स के मुकाबले कमजोर रहा है, औसत रिटर्न 5% के आस-पास है।
इस तरह, थीमैटिक और सेक्टरल फंड्स की अभी भी बाजार में उपस्थिति है, परंतु निवेशकों की सतर्कता बढ़ी है।
हाइब्रिड और बैलेंस्ड फंड्स: तेजी से बढ़ती मांग
वहीं दूसरी तरफ, हाइब्रिड फंड्स ने इस साल रिकॉर्ड स्तर की निवेश निकासी दर्ज की है।
- जून 2025 में हाइब्रिड फंड्स में ₹23,223 करोड़ की शुद्ध निवेश राशि आई, जो पिछले साल की इसी अवधि से 162% अधिक है।
- इस सेगमेंट में सब से अधिक निवेश ₹15,585 करोड़ के साथ आर्बिट्राज फंड्स में हुआ, उसके बाद मल्टी-एसेट अलोकेशन फंड्स में ₹3,210 करोड़ और बैलेंस्ड एडवांटेज फंड्स में ₹1,886 करोड़ निवेश हुआ।
- हाइब्रिड फंड्स का AUM ₹8.83 लाख करोड़ तक पहुंच गया है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 22% की वृद्धि दर्शाता है। फोलियोज की संख्या 1.56 करोड़ हो चुकी है।
- हाइब्रिड फंड्स में इस बढ़ोतरी का मुख्य कारण है यह कि यह बाजार की अस्थिरता के दौर में जोखिम और रिटर्न के बीच संतुलन प्रदान करते हैं। इसमें इक्विटी, डेट और कमोडिटी का सही मेल है।
- टियर-2 और टियर-3 शहरों से भी अधिक निवेशक हाइब्रिड फंड्स में आ रहे हैं क्योंकि वे मध्यम जोखिम वाले निवेश विकल्प हैं।
- कराधान में भी इक्विटी-ओरिएंटेड हाइब्रिड फंड्स को लाभ मिलता है, जिससे ये प्रतिबंधित निवेशों के मुकाबले अधिक आकर्षक बनते हैं।
आंकड़ों की रूपरेखा
श्रेणी | 2025 के प्रमुख आँकड़े और रुझान |
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थीमैटिक फंड्स का AUM | ₹4.9 लाख करोड़ (जुलाई 2025) |
थीमैटिक फंड्स में नकारात्मक रिटर्न | 168 में से 97 फंड्स ने 1-वर्ष में दिया नकारात्मक रिटर्न |
चयनित थीमैटिक फंड्स की उच्चतम रिटर्न | 32% प्रतिवर्ष (CAGR) |
सेक्टरल फंड्स में 5-वर्षीय CAGR | इंफ्रास्ट्रक्चर फंड्स में 33.46% तक |
हाइब्रिड फंड्स में निवेश (जून) | ₹23,223 करोड़ (162% YoY वृद्धि) |
हाइब्रिड फंड्स का AUM | ₹8.83 लाख करोड़ (22% YOY वृद्धि) |
प्रमुख हाइब्रिड निवेश | आर्बिट्राज फंड्स ₹15,585 करोड़; मल्टी-एसेट ₹3,210 करोड़ |
निष्कर्ष
2025 का साल म्युचुअल फंड उद्योग में एक बदलाव का वर्ष साबित हो रहा है। थीमैटिक और सेक्टरल फंड्स के प्रदर्शन में कमी के चलते निवेशक अधिक सुरक्षित और संतुलित विकल्पों की ओर बढ़ रहे हैं। हाइब्रिड और बैलेंस्ड फंड्स ऐसे विकल्प के रूप में उभरे हैं जो बाजार की अस्थिरता के बीच विश्वास और स्थिरता देते हैं।
यह स्थिति इस बात का संकेत है कि निवेशक अब जोखिम और रिटर्न के बेहतर संतुलन की तलाश में हैं, खासकर मौजूदा वैश्विक अनिश्चितताओं और आर्थिक दबाव के समय। भविष्य में, यह प्रवृत्ति जारी रहने की संभावना है क्योंकि बाजार में बदलाव तेजी से हो रहे हैं।