DeepSeek AI विवाद: क्या आपकी निजी जानकारी है खतरे में?

ताइवान ने अपने सार्वजनिक क्षेत्र और महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचा क्षेत्रों में DeepSeek AI के उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया है। ताइवान की डिजिटल मामलों की मंत्रालय (Ministry of Digital Affairs) का कहना है कि यह सेवा एक चीनी उत्पाद है, जो देश की राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा पहुंचा सकती है। मंत्रालय ने सभी सरकारी एजेंसियों और प्रमुख संस्थानों को निर्देश दिया है कि वे इस एआई सेवा का उपयोग न करें क्योंकि यह डेटा लीक और साइबर सुरक्षा से जुड़ी समस्याओं का कारण बन सकती है।

DeepSeek पर सुरक्षा खतरे का आरोप

DeepSeek ने हाल ही में अपना R1 चैटबॉट लॉन्च किया, जिसे कंपनी ने अमेरिका जैसे अग्रणी एआई मॉडल्स के बराबर क्षमता का बताया है। हालांकि, इसे विकसित करने में अमेरिकी कंपनियों की तुलना में काफी कम निवेश हुआ है। ताइवान के मंत्रालय का कहना है कि DeepSeek का संचालन क्रॉस-बॉर्डर डेटा ट्रांसमिशन और सूचना लीक से जुड़ा है, जिससे राष्ट्रीय सुरक्षा पर खतरा मंडरा रहा है।

यह प्रतिबंध ताइवान की उस नीति का हिस्सा है, जिसके तहत 2019 से सरकार ने किसी भी ऐसी सूचना और संचार प्रौद्योगिकी सेवा के उपयोग पर रोक लगाई है, जो देश की सुरक्षा के लिए खतरा बन सकती है।

अन्य देशों की चिंताएं

ताइवान के अलावा, दक्षिण कोरिया, आयरलैंड, फ्रांस, ऑस्ट्रेलिया और इटली जैसे देशों ने भी DeepSeek AI के डेटा सुरक्षा मानकों पर सवाल उठाए हैं। इस हफ्ते इटली ने DeepSeek के R1 मॉडल की जांच शुरू कर दी और अपने देश के यूजर्स का डेटा प्रोसेस करने पर रोक लगा दी।

आयरलैंड और दक्षिण कोरिया के डेटा सुरक्षा प्राधिकरण भी DeepSeek से यह स्पष्टीकरण मांग रहे हैं कि वह यूजर्स की निजी जानकारी को कैसे प्रबंधित करता है।

चीन पर ताइवान का आरोप

ताइवान का कहना है कि चीन लंबे समय से उसके खिलाफ “ग्रे ज़ोन” रणनीति का उपयोग कर रहा है। यह रणनीति युद्ध की सीमा से नीचे रहते हुए साइबर हमलों और अन्य तरीकों से ताइवान पर दबाव बनाने का प्रयास है। बीजिंग ताइवान को अपना हिस्सा मानता है और अक्सर साइबर हमलों के माध्यम से अपनी संप्रभुता के दावे को मजबूती देने का प्रयास करता है।

वॉल स्ट्रीट पर DeepSeek का प्रभाव

DeepSeek के शक्तिशाली नए चैटबॉट ने इस हफ्ते वॉल स्ट्रीट पर हलचल मचा दी। इसे अमेरिका में विकसित एआई मॉडल्स के बराबर क्षमता वाला बताया जा रहा है, जबकि इसे विकसित करने में अपेक्षाकृत कम लागत लगी है। यह स्थिति तब है जब अमेरिका ने चीनी कंपनियों को उन्नत चिप्स और एआई मॉडल्स विकसित करने के लिए जरूरी तकनीक तक पहुंचने से प्रतिबंधित कर रखा है।

Disclaimer : यह लेख केवल जानकारी प्रदान करने के उद्देश्य से लिखा गया है। कृपया संबंधित सरकारी विभाग या आधिकारिक पोर्टल से जानकारी की पुष्टि जरूर करें। योजनाओं की शर्तें समय-समय पर बदल सकती हैं।

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Mukesh Joshi
Mukesh Joshi

मैं मुकेश जोशी हूँ, एक सच्चा छात्र जो हर दिन नया सीखता हूँ। मैंने MBA फाइनेंस किया है और एक फाइनेंशियल व अकाउंटिंग एक्सपर्ट हूँ। मुझे बिजनेस और टेक्नोलॉजी की ताज़ा जानकारी अपने पाठकों तक पहुँचाने का जुनून है। मेरे लेखों में आपको विश्वसनीय और रोचक जानकारी मिलेगी। मेरे साथ इस ज्ञान के सफर में जुड़ें!

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