केंद्रीय बजट 2025 में भारत सरकार ने राष्ट्रीय क्वांटम मिशन (NQM) के लिए ₹600 करोड़ की राशि आवंटित की है। पिछले साल की तुलना में यह राशि सात गुना अधिक है। 2023 में स्वीकृत इस मिशन का उद्देश्य उभरती हुई क्वांटम टेक्नोलॉजी में भारत को वैश्विक नेता बनाना है। [1]
पिछले वर्ष की तुलना में बढ़ा बजट
2024 में इस मिशन के लिए केवल ₹86 करोड़ का आवंटन किया गया था, जिसे अब ₹600 करोड़ कर दिया गया है। कुल मिलाकर, आठ साल के लिए इस मिशन का बजट ₹6,003.65 करोड़ तय किया गया है। इस योजना का मकसद क्वांटम कंप्यूटिंग, क्वांटम कम्युनिकेशन, क्वांटम सेंसिंग और मेट्रोलॉजी के साथ-साथ क्वांटम मैटेरियल्स और डिवाइस के विकास पर ध्यान केंद्रित करना है।
तकनीकी आत्मनिर्भरता पर जोर
क्वांटम मिशन के अध्यक्ष अजय चौधरी के अनुसार, अमेरिका और अन्य विकसित देशों से तकनीकी सहायता में कमी को देखते हुए भारत को इस क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने की जरूरत है। भारत पहले से ही लद्दाख में क्वांटम कम्युनिकेशन पर शोध कार्य पूरा कर चुका है। उन्होंने कहा कि, “क्वांटम तकनीक में किसी भी हस्तक्षेप का तुरंत पता चल जाता है, जिससे यह साइबर सुरक्षा के लिए अत्यधिक आवश्यक हो गई है।” इस खबर की पुष्टि द क्वांटम इनसाइडर ने की है।[2]
डीप टेक्नोलॉजी में भी बड़ा निवेश
क्वांटम मिशन के अलावा, सरकार ने नेशनल सुपरकंप्यूटिंग मिशन के लिए ₹265 करोड़ का आवंटन किया है। इसके अलावा नेशनल जियोस्पैशियल मिशन के लिए ₹100 करोड़ और शिक्षा के लिए AI केंद्र के लिए ₹500 करोड़ की राशि निर्धारित की गई है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट प्रस्तुति के दौरान यह घोषणा की। क्यूएनयू लैब्स के ग्रोथ ऑफिसर राहिल पटेल ने इसे राष्ट्रीय सुरक्षा और तकनीकी संप्रभुता के लिए एक महत्वपूर्ण कदम बताया।[2]
भारत की वैश्विक स्थिति होगी मजबूत
विशेषज्ञों का मानना है कि इस बजट में घोषित प्रोत्साहन योजनाएं स्टार्टअप्स और उभरती तकनीकों के लिए वरदान साबित होंगी।