IPO Allotment Process In Hindi | IPO में शेयर कैसे अलॉट होते हैं? पूरी जानकारी यहां पाएं!

IPO Allotment Process In Hindi: IPO (Initial Public Offering) प्रक्रिया निवेशकों के लिए कंपनी के शुरुआती दिनों से जुड़ने का शानदार मौका होती है। IPO in India में रिटेल से लेकर SME IPO allotment process तक की पूरी जानकारी महत्वपूर्ण होती है। इस ब्लॉग में, हम IPO allotment और IPO listing process की बारीकियों को समझेंगे।

IPO अलॉटमेंट क्या है? (परिचय)

IPO (Initial Public Offering) वह प्रक्रिया है जिसके माध्यम से कोई निजी कंपनी पहली बार अपने शेयर आम जनता को ऑफर करती है। IPO की घोषणा होते ही बाजार में निवेशकों के बीच भारी उत्साह देखा जाता है, क्योंकि यह निवेशकों के लिए कंपनी में शुरुआती दौर में हिस्सा लेने का अवसर प्रदान करता है।

IPO के जरिए कंपनी अपनी पूंजी जुटाती है, जिसे वह अपने व्यवसाय के विस्तार या संचालन के लिए उपयोग करती है। निवेशकों के लिए यह एक बड़ा मौका होता है, क्योंकि IPO के माध्यम से वे शुरुआती निवेश कर सकते हैं, जो कंपनी के विकास के साथ भविष्य में मुनाफा कमा सकता है।

लेकिन IPO में निवेश करने के बाद सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि IPO अलॉटमेंट प्रक्रिया क्या है और शेयर कैसे अलॉट होते हैं? क्या आपने कभी IPO में आवेदन किया है लेकिन आपको शेयर नहीं मिले? यह ब्लॉग पोस्ट आपको पूरी जानकारी देगा कि IPO में शेयर कैसे अलॉट होते हैं, क्यों कुछ निवेशकों को शेयर नहीं मिलते और SEBI के नियम क्या हैं।

IPO अलॉटमेंट प्रक्रिया क्या है?

IPO अलॉटमेंट एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें निवेशकों को उनके डिमैट अकाउंट में शेयर आवंटित किए जाते हैं। यह प्रक्रिया IPO सब्सक्रिप्शन के बाद होती है, जो आमतौर पर 3 दिनों तक चलती है। निवेशकों द्वारा दिए गए आवेदन और सब्सक्रिप्शन के आधार पर, IPO अलॉटमेंट प्रक्रिया पूरी की जाती है। यह प्रक्रिया SEBI (भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड) द्वारा निर्धारित नियमों के तहत होती है।

IPO में शेयर कैसे अलॉट होते हैं?

जब निवेशक IPO में आवेदन करते हैं, तो उनके मन में यह सवाल होता है कि शेयर कैसे अलॉट होंगे। SEBI द्वारा तीन प्रमुख श्रेणियों में शेयर आरक्षित किए जाते हैं:

  1. क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल बायर्स (QIB)
  2. नॉन-इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर्स (NII)
  3. रिटेल निवेशक

IPO में शेयर अलॉटमेंट इन श्रेणियों के आधार पर होता है और यह प्रक्रिया बहुत सी चीजों पर निर्भर करती है, जैसे कि कितने लोगों ने बिड किया है और कितने शेयर उपलब्ध हैं।

IPO अलॉटमेंट की प्रक्रिया: रिटेल निवेशकों के लिए

रिटेल निवेशकों के लिए शेयर अलॉटमेंट की प्रक्रिया में लॉट साइज का बहुत महत्व होता है। जब कोई कंपनी IPO जारी करती है, तो उसके कुल शेयरों को लॉट्स में बांटा जाता है। निवेशक उन लॉट्स के आधार पर बिड करते हैं, और हर बिड एक लॉट के हिसाब से होती है।

उदाहरण के तौर पर, अगर किसी कंपनी ने 1 लाख शेयर जारी किए हैं और एक लॉट में 10 शेयर हैं, तो कुल 10,000 लॉट्स जारी किए जाएंगे। रिटेल निवेशक 1, 2, या उससे अधिक लॉट के लिए आवेदन कर सकते हैं।

IPO अलॉटमेंट के दो मुख्य केस:

  1. बिड्स < ऑफर लॉट्स
    अगर कुल बिड्स, उपलब्ध लॉट्स से कम होती हैं, तो सभी निवेशकों को उतने ही लॉट्स अलॉट किए जाते हैं जितने उन्होंने बिड किए थे।
  2. बिड्स > ऑफर लॉट्स
    अगर बिड्स की संख्या उपलब्ध लॉट्स से ज्यादा होती है, तो SEBI के नियमों के अनुसार, पहले हर सफल बिड करने वाले निवेशक को 1 लॉट अलॉट किया जाता है। यदि ओवर-सब्सक्रिप्शन बहुत ज्यादा होता है, तो लॉट्स का अलॉटमेंट लकी ड्रॉ के माध्यम से किया जाता है। इस पूरी प्रक्रिया में किसी भी प्रकार की पक्षपात की संभावना नहीं होती, क्योंकि यह पूरी तरह से कंप्यूटर द्वारा संचालित होती है।

IPO में शेयर क्यों नहीं मिलते?

IPO में शेयर न मिलने के कई कारण हो सकते हैं। मुख्य कारण निम्नलिखित हैं:

  1. इनवैलिड बिड:
    अगर आपके आवेदन में PAN नंबर, डिमैट अकाउंट नंबर, या अन्य जानकारी गलत होती है, तो आपका आवेदन अमान्य माना जा सकता है।
  2. ओवर-सब्सक्रिप्शन:
    अगर IPO में भारी ओवर-सब्सक्रिप्शन होता है, तो बहुत से निवेशकों को लॉटरी प्रक्रिया के कारण शेयर नहीं मिल पाते।

निष्कर्ष

IPO अलॉटमेंट प्रक्रिया कंपनियों के पब्लिक होने का एक महत्वपूर्ण चरण है। इसे समझने से निवेशक बेहतर तरीके से शेयर अलॉटमेंट की जटिलताओं को समझ सकते हैं और अपनी उम्मीदों को प्रबंधित कर सकते हैं। इस जानकारी के साथ, आप निवेश के निर्णय बेहतर तरीके से ले सकते हैं और नए निवेश के अवसरों का लाभ उठा सकते हैं।

IPO में निवेश करते समय, यह समझना जरूरी है कि शेयर अलॉटमेंट प्रक्रिया क्या है और किन कारणों से आपको शेयर मिल सकते हैं या नहीं मिल सकते। इससे आप बेहतर निवेश योजनाएं बना सकते हैं।

FAQs

IPO अलॉटमेंट प्रक्रिया क्या है?

IPO अलॉटमेंट प्रक्रिया वह प्रक्रिया है जिसमें निवेशकों को उनके डिमैट अकाउंट में कंपनी के शेयर आवंटित किए जाते हैं। यह प्रक्रिया सब्सक्रिप्शन समाप्त होने के बाद की जाती है।

SME IPO अलॉटमेंट प्रक्रिया क्या है?

SME IPO में अलॉटमेंट प्रक्रिया मुख्य IPO जैसी होती है, पर छोटे और मध्यम उद्यमों के लिए बनाई जाती है। यहाँ भी लॉट्स के हिसाब से निवेशक को शेयर मिलते हैं।

IPO में शेयर कैसे मिलते हैं?

IPO में शेयर SEBI के नियमों के तहत लॉटरी सिस्टम से अलॉट होते हैं, खासकर जब IPO ओवर-सब्सक्राइब हो जाता है। सभी आवेदकों को समान मौका मिलता है।

IPO अलॉटमेंट में कितना समय लगता है?

IPO अलॉटमेंट में सामान्यतः 7 दिन का समय लगता है, इसके बाद शेयर आपके डिमैट अकाउंट में दिखाई देने लगते हैं।

अगर IPO ओवर-सब्सक्राइब हो जाए तो क्या होगा?

अगर IPO ओवर-सब्सक्राइब हो जाता है, तो लॉटरी ड्रॉ के जरिए कुछ आवेदकों को ही शेयर अलॉट होते हैं। जिनके नाम नहीं आते, उन्हें शेयर नहीं मिलते।

IPO अलॉटमेंट नहीं होने के क्या कारण हो सकते हैं?

IPO अलॉटमेंट न होने के दो मुख्य कारण हो सकते हैं: गलत आवेदन (PAN या डिमैट डिटेल्स गलत) या भारी ओवर-सब्सक्रिप्शन, जिससे सभी को शेयर नहीं मिल पाते।

IPO अलॉटमेंट स्टेटस कैसे चेक करें?

आप अपने IPO अलॉटमेंट स्टेटस को कंपनी की वेबसाइट या SEBI द्वारा अधिकृत रजिस्ट्रार की वेबसाइट पर चेक कर सकते हैं। इसके लिए आपका आवेदन नंबर और डिमैट अकाउंट डिटेल्स जरूरी होते हैं।

IPO में शेयर नहीं मिले तो क्या करें?

अगर आपको IPO में शेयर नहीं मिले, तो आपके पैसे कुछ दिनों में वापस कर दिए जाते हैं। इसके बाद आप अन्य IPO या निवेश के अवसर देख सकते हैं।

IPO लिस्टिंग प्रक्रिया क्या है?

IPO लिस्टिंग प्रक्रिया में कंपनी के शेयर स्टॉक एक्सचेंज पर ट्रेडिंग के लिए उपलब्ध होते हैं। यह IPO अलॉटमेंट के बाद की जाने वाली अंतिम प्रक्रिया है।

एक लॉट में कितने शेयर होते हैं?

लॉट साइज हर कंपनी के IPO में अलग-अलग होता है। लॉट में कंपनी द्वारा निर्धारित संख्या में शेयर होते हैं, और निवेशक इन्हीं लॉट्स के आधार पर बिड करते हैं।

Disclaimer : यह जानकारी केवल सूचना के लिए है। यह वेबसाइट निवेश की सिफारिशें नहीं देती। निवेश से पहले विशेषज्ञ की सलाह लें। बाजार में जोखिम संभव है।

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