H-1B Visa Registration: H-1B वीजा आवेदन प्रक्रिया में नए बदलाव किए गए हैं, जो 1 जनवरी 2025 से प्रभावी हो गए हैं। अमेरिका के डिपार्टमेंट ऑफ होमलैंड सिक्योरिटी (DHS) ने इन नए नियमों को लागू किया है, जिससे वीजा प्रक्रिया अधिक पारदर्शी और सुरक्षित हो सके। इन नियमों का सीधा असर भारतीय आईटी प्रोफेशनल्स और अमेरिकी कंपनियों पर पड़ेगा।
H-1B वीजा भारतीय आईटी पेशेवरों के लिए एक महत्वपूर्ण वीजा है, जिससे अमेरिकी कंपनियां तकनीकी और विशेष कौशल रखने वाले विदेशी कर्मचारियों को नियुक्त कर सकती हैं।
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H-1B वीजा में किए गए प्रमुख बदलाव
नया नियम | क्या बदलाव हुआ? |
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विशेष व्यवसाय (Specialty Occupation) की नई परिभाषा | अब केवल सामान्य डिग्री रखने से वीजा नहीं मिलेगा, बल्कि डिग्री का जॉब प्रोफाइल से सीधा संबंध होना चाहिए। |
कार्यस्थल निरीक्षण (Worksite Inspections) | वीजा धोखाधड़ी रोकने के लिए अब कंपनियों की अधिक जांच होगी। कंपनियों को हर कार्यस्थल का रिकॉर्ड रखना होगा। |
वीजा विस्तार प्रक्रिया (H-1B Extensions) | अगर पिछले वीजा अनुमोदन में कोई बदलाव नहीं हुआ है, तो USCIS नए आवेदन की दोबारा गहन जांच नहीं करेगा। |
वीजा स्थिति का प्रमाण (Proof of Status Maintenance) | वीजा बढ़ाने के लिए आवेदकों को यह प्रमाण देना होगा कि उन्होंने अपने पिछले वीजा की शर्तों का पालन किया है। |
स्टार्टअप और उद्यमियों के लिए राहत | H-1B धारकों को अब खुद की कंपनी में जॉब करने की अनुमति दी गई है, यदि उनका काम विशेषज्ञता से जुड़ा हो। |
वास्तविक नौकरी का प्रमाण (Genuine Job Offer Proof) | USCIS अब केवल अनुबंधों पर निर्भर नहीं करेगा, बल्कि अन्य दस्तावेजों से भी नौकरी की वैधता की पुष्टि करेगा। |
F-1 छात्रों के लिए वर्क परमिट बढ़ा | H-1B पर शिफ्ट होने वाले छात्रों के लिए वर्क परमिट अवधि को बढ़ाया गया है, जिससे रोजगार में रुकावट न आए। |
विशेष व्यवसाय (Specialty Occupation) की नई परिभाषा
पहले, H-1B वीजा प्राप्त करने के लिए किसी भी स्नातक डिग्री को पर्याप्त माना जाता था। लेकिन नए नियमों के तहत, अब यह आवश्यक होगा कि डिग्री पूरी तरह से नौकरी की आवश्यकताओं से मेल खाती हो। इससे सामान्य डिग्री वाले आवेदकों के लिए कठिनाई बढ़ सकती है।
H-1B कार्यस्थल निरीक्षण और धोखाधड़ी रोकथाम
अब अमेरिकी नागरिकता और आव्रजन सेवा (USCIS) द्वारा कार्यस्थल निरीक्षणों की संख्या बढ़ा दी गई है। कंपनियों को अपने वीजा धारकों की गतिविधियों का सही रिकॉर्ड रखना होगा। अगर किसी कंपनी ने निरीक्षण से बचने की कोशिश की, तो उनका H-1B आवेदन रद्द किया जा सकता है।
H-1B विस्तार प्रक्रिया को आसान बनाया गया
ट्रम्प प्रशासन के दौरान, हर वीजा विस्तार आवेदन की दोबारा पूरी तरह से समीक्षा की जाती थी, जिससे प्रक्रिया जटिल हो गई थी। नए नियमों के तहत, यदि वीजा धारक की स्थिति में कोई बड़ा बदलाव नहीं हुआ है, तो USCIS पिछले अनुमोदन को आधार बनाकर ही निर्णय करेगा।
H-1B वीजा के लिए स्टार्टअप्स को राहत
अब विदेशी उद्यमी (Entrepreneurs) भी H-1B वीजा के पात्र हो सकते हैं, यदि वे अपने व्यवसाय में विशिष्ट कार्य कर रहे हैं। यदि आवेदक 50% से अधिक हिस्सेदारी रखते हैं, तो भी वे इस वीजा के योग्य हो सकते हैं, बशर्ते कि वे व्यवसाय प्रबंधन के बजाय तकनीकी कार्यों में लगे हों।
भारतीय पेशेवरों और कंपनियों पर प्रभाव
- भारतीय आईटी पेशेवरों के लिए प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी, क्योंकि सामान्य डिग्री धारकों को अब H-1B वीजा प्राप्त करने में कठिनाई हो सकती है।
- कंपनियों को अब अधिक सतर्क रहना होगा और निरीक्षण के लिए उचित तैयारी करनी होगी।
- नकली नौकरियों और धोखाधड़ी को रोकने के लिए सख्त नियम लागू किए गए हैं, जिससे बड़ी कंपनियों को लाभ होगा।
- नवोदित व्यवसायों (Startups) के लिए यह सकारात्मक बदलाव है, क्योंकि वे अब अधिक लचीलेपन के साथ H-1B वीजा का उपयोग कर सकते हैं।
निष्कर्ष
अमेरिका के H-1B वीजा नियमों में बदलाव भारतीय आईटी पेशेवरों, स्टार्टअप्स और नियोक्ताओं के लिए महत्वपूर्ण हैं। नए नियमों से वीजा प्रक्रिया अधिक पारदर्शी और सुरक्षित बनेगी। 2026 के लिए H-1B वीजा आवेदन मार्च 2025 में शुरू होगा। इसलिए, यदि आप या आपकी कंपनी H-1B वीजा आवेदन की योजना बना रही है, तो इन नए नियमों को ध्यान में रखते हुए अपनी तैयारी करें।