गूगल ने वैज्ञानिकों के लिए एक नया AI टूल “AI Co-Scientist” पेश किया है, जो रिसर्च और मेडिसिन के क्षेत्र में बड़ा बदलाव ला सकता है। यह टूल वैज्ञानिकों के लिए एक स्मार्ट असिस्टेंट की तरह काम करेगा, जिससे उनकी रिसर्च तेज और प्रभावी होगी।
AI Co-Scientist क्या है?
- यह Gemini 2.0 पर आधारित एक AI टूल है।
- यह मेडिकल और हेल्थ रिसर्च करने वाले वैज्ञानिकों के लिए खासतौर पर डिज़ाइन किया गया है।
- यह ठीक उसी तरह काम करता है, जैसे हम अपने फोन में Google Assistant से सवाल पूछते हैं।
- वैज्ञानिक इस टूल का इस्तेमाल अपनी रिसर्च से जुड़े सवालों के जवाब पाने के लिए कर सकते हैं।
- यह सिर्फ जवाब ही नहीं देता, बल्कि नई रिसर्च के लिए सुझाव भी देता है।
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AI Co-Scientist क्यों बनाया गया?
- वैज्ञानिकों को रिसर्च डेटा समझने और नए निष्कर्ष निकालने में कठिनाई होती है।
- यह सुपरबग्स (ऐसे बैक्टीरिया जो एंटीबायोटिक्स से नहीं मरते) के इलाज के लिए नई संभावनाएं खोजने में मदद करेगा।
- यह रिसर्च की स्पीड बढ़ाएगा और वैज्ञानिकों को नई खोज करने में मदद करेगा।
AI Co-Scientist का टेस्ट और रिजल्ट कैसा रहा?
- स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी और इम्पीरियल कॉलेज लंदन में इस टूल का टेस्ट किया गया।
- प्रोफेसर जोस पेनाडेस पिछले 10 सालों से सुपरबग्स पर रिसर्च कर रहे थे।
- उन्होंने पाया कि AI Co-Scientist ने सिर्फ 48 घंटे में उनकी 10 साल की रिसर्च को निष्कर्ष तक पहुंचा दिया।
- इसने चार नए संभावित सुझाव भी दिए, जिससे रिसर्च को और बेहतर बनाया जा सकता है।
गूगल का नया AI टूल AI Co-Scientist रिसर्च की दुनिया में क्रांतिकारी बदलाव ला सकता है। यह वैज्ञानिकों के सवालों के जवाब देने के साथ-साथ रिसर्च के नए रास्ते भी सुझाएगा। खासकर, मेडिकल रिसर्च और हेल्थकेयर के क्षेत्र में यह गेम-चेंजर साबित हो सकता है।