नई दिल्ली: दिल्ली के पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने दिल्ली के जंगलों और संरक्षित क्षेत्रों को प्रदूषण और शोर से मुक्त करने के लिए एक ऐतिहासिक कदम उठाया है। सोमवार को उन्होंने तत्काल प्रभाव से नॉन-इलेक्ट्रिक और गैर-जरूरी वाहनों (सरकारी और निजी दोनों) के दिल्ली के जंगलों में प्रवेश पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया। इस फैसले का मुख्य उद्देश्य दिल्ली के जंगलों को स्वच्छ और शांत बनाना तथा वन्यजीवों की सुरक्षा सुनिश्चित करना है।
इलेक्ट्रिक वाहनों की ओर तेजी से कदम
मंत्री सिरसा ने वन विभाग को सख्त निर्देश दिए हैं कि अगले 60 दिनों के भीतर सभी डीजल और पेट्रोल से चलने वाले आंतरिक दहन इंजन (ICE) वाहनों को इलेक्ट्रिक वाहनों (EV) से बदल दिया जाए। इसके अलावा, वन और वन्यजीव विभाग को सात दिनों के भीतर वाहनों पर एक विस्तृत अध्ययन कर एक व्यापक परिवर्तन योजना प्रस्तुत करने का आदेश दिया गया है।
सिरसा ने कहा, “दिल्ली के जंगल शांत और स्वच्छ गतिशीलता के हकदार हैं, न कि धुएं और शोर के। हमारा लक्ष्य है कि दिल्ली के जंगलों में वन्यजीव बिना किसी व्यवधान के सुरक्षित रहें।”
वन्यजीवों की सुरक्षा को प्रेरणा
इस फैसले के पीछे की प्रेरणा का खुलासा करते हुए, सिरसा ने बताया कि 17 अप्रैल को उन्होंने असोला भट्टी वन्यजीव अभयारण्य में एक तेंदुए का वीडियो X पर साझा किया था। इस वीडियो में पृष्ठभूमि में एक ट्रैक्टर की आवाज सुनाई दी, जिसने उन्हें यह सख्त कदम उठाने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा, “वन्यजीवों को किसी भी तरह की परेशानी नहीं होनी चाहिए। हमारी जिम्मेदारी है कि हम उनके प्राकृतिक आवास को सुरक्षित रखें।”
दिल्ली के जंगल और संरक्षित क्षेत्र
दिल्ली के अधिसूचित और संरक्षित वन क्षेत्रों में मुख्य रूप से रिज क्षेत्र शामिल हैं, जो अरावली पर्वतों का विस्तार हैं। यह रिज चार हिस्सों में बंटा है:
- उत्तरी रिज: 87 हेक्टेयर
- केंद्रीय रिज: 864 हेक्टेयर
- दक्षिण-मध्य रिज: 626 हेक्टेयर
- दक्षिणी रिज: 6,200 हेक्टेयर
इसके अलावा, नानकपुरा दक्षिण-मध्य रिज 7 हेक्टेयर में फैला है। वन विभाग ने अपनी वेबसाइट पर 26 अन्य छोटे संरक्षित वन क्षेत्रों को सूचीबद्ध किया है, जिनमें मित्रांव, मुखमेलपुर, राजोकरी, तुगलकाबाद, हस्तसाल, और मायापुरी जैसे क्षेत्र शामिल हैं।
पहले से लागू नियम और भविष्य की योजना
वन विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि असोला भट्टी वन्यजीव अभयारण्य में इस तरह का प्रतिबंध पहले से लागू था। अब इसे दिल्ली के अन्य सभी वन क्षेत्रों में लागू करने के निर्देश जारी किए गए हैं। अधिकारी ने स्पष्ट किया कि केवल जरूरी वाहन, जैसे पानी के टैंकर, को इस प्रतिबंध से छूट दी जाएगी। उन्होंने कहा, “स्थानीय कर्मचारियों के लिए आवश्यक वाहनों को छोड़कर, केवल इलेक्ट्रिक वाहनों को ही अनुमति होगी।”
दिल्ली सरकार का हरा-भरा सपना
यह कदम दिल्ली सरकार की प्रदूषण से लड़ने और हरे-भरे बुनियादी ढांचे को बढ़ावा देने की व्यापक रणनीति का हिस्सा है। सिरसा ने कहा, “स्वच्छ हवा के साथ एक हरा-भरा दिल्ली कोई दूर का सपना नहीं है—यह हमारा जीवंत संकल्प है। स्वच्छ तकनीकों को अपनाकर और अपने जंगलों की देखभाल करके, हम दिल्ली के हर नागरिक के लिए एक स्वस्थ और मजबूत भविष्य का निर्माण कर रहे हैं।”
दिल्ली सरकार ने 2025-26 के बजट में पर्यावरण और वन विभागों के लिए 506 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं। इनका उपयोग पर्यावरण निगरानी को मजबूत करने, प्रदूषण नियंत्रण परियोजनाओं को लागू करने और जैव विविधता की रक्षा के लिए किया जाएगा। इसके अलावा, इस साल दिल्ली में 70 लाख पौधे लगाने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा गया है।
यह फैसला कितना प्रभावी होगा?
क्या यह कदम वाकई दिल्ली के जंगलों और वन्यजीवों को प्रदूषण से बचा पाएगा? इस फैसले के प्रभाव और भविष्य की योजनाओं के बारे में और जानने के लिए, ताजा अपडेट्स पढ़ें। पूरी कहानी और विशेषज्ञों की राय जानने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें और दिल्ली के इस हरे-भरे बदलाव का हिस्सा बनें!