Colour-Coded Fuel Stickers नहीं तो दिल्ली में चालान पक्का!

दिल्ली में प्रदूषण को नियंत्रित करने और वाहनों की पहचान को आसान बनाने के लिए रंग-कोडित ईंधन स्टिकर और हाई सिक्योरिटी रजिस्ट्रेशन प्लेट (HSRP) अनिवार्य किए गए हैं। दिल्ली परिवहन विभाग ने सख्ती से लागू किए गए इस नियम के तहत स्टिकर न लगाने वाले वाहनों पर जुर्माना लगाने की घोषणा की है। यह नियम नए और पुराने सभी वाहनों पर लागू है, और इसका पालन न करने पर चालान या वाहन जब्ती की कार्रवाई हो सकती है। आइए इसकी पूरी जानकारी विस्तार से समझते हैं।

रंग-कोडित ईंधन स्टिकर क्या हैं?

रंग-कोडित स्टिकर वाहन के ईंधन प्रकार को दर्शाने वाला एक छोटा स्टिकर है, जो वाहन की विंडशील्ड और नंबर प्लेट पर लगाया जाता है। यह स्टिकर सुप्रीम कोर्ट के 2018 के आदेश और मोटर वाहन नियम, 1989 के तहत अनिवार्य किया गया है। इसके रंग इस प्रकार हैं:

  • हल्का नीला स्टिकर: पेट्रोल और CNG वाहनों के लिए।
  • नारंगी स्टिकर: डीजल वाहनों के लिए।
  • हरे रंग की नंबर प्लेट: केवल इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए होती है

इसके साथ ही, स्टिकर पर निम्नलिखित जानकारी भी होती है:

  • वाहन का पंजीकरण नंबर।
  • लेजर-कोडेड पिन।
  • इंजन और चेसिस नंबर।
  • पंजीकरण करने वाली अथॉरिटी का नाम।

यह नियम कब लागू हुआ?

  • नए वाहनों के लिए: 1 अप्रैल, 2019 से सभी नए वाहनों पर रंग-कोडित स्टिकर और HSRP लगाना अनिवार्य है।
  • पुराने वाहनों के लिए: 31 मार्च, 2019 से पहले पंजीकृत वाहनों को भी इस नियम का पालन करना होगा। दिल्ली सरकार ने पुराने वाहनों को स्टिकर और HSRP लगाने के लिए कई बार समयसीमा बढ़ाई, लेकिन अब सख्ती लागू की जा रही है।
  • HSRP का इतिहास: हाई सिक्योरिटी रजिस्ट्रेशन प्लेट की शुरुआत 2012-13 में हुई थी, और इसे 2019 तक सभी वाहनों के लिए अनिवार्य कर दिया गया था।

रंग-कोडित स्टिकर क्यों जरूरी हैं?

  1. प्रदूषण नियंत्रण: दिल्ली में प्रदूषण एक बड़ी समस्या है। स्टिकर से यह आसानी से पता चल जाता है कि वाहन कौन सा ईंधन इस्तेमाल करता है, जिससे प्रदूषण की निगरानी और नियंत्रण में मदद मिलती है।
  2. वाहन पहचान: यह स्टिकर वाहन की पहचान को आसान बनाता है, जिससे चोरी और अवैध गतिविधियों पर रोक लगती है।
  3. सुप्रीम कोर्ट का आदेश: 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-NCR में प्रदूषण कम करने के लिए यह नियम लागू करने का निर्देश दिया था।
  4. नियमों का पालन: यह मोटर वाहन अधिनियम, 1989 और केंद्रीय मोटर वाहन नियमों का हिस्सा है।

क्या होगा अगर स्टिकर नहीं लगाया?

दिल्ली परिवहन विभाग और ट्रैफिक पुलिस ने सख्त नियम लागू किए हैं। यदि वाहन पर रंग-कोडित स्टिकर या HSRP नहीं है, तो निम्नलिखित कार्रवाइयाँ हो सकती हैं:

  • जुर्माना: स्टिकर न होने पर 5,000 से 10,000 रुपये तक का चालान हो सकता है।
  • वाहन जब्ती: बार-बार नियम तोड़ने पर वाहन को जब्त किया जा सकता है।
  • पुराने वाहनों पर सख्ती: 10 साल से पुराने डीजल और 15 साल से पुराने पेट्रोल/CNG वाहनों पर विशेष निगरानी है। ऐसे वाहनों को स्क्रैप करने का आदेश है, और नियम तोड़ने पर भारी जुर्माना लगाया जा रहा है।

रंग-कोडित स्टिकर और HSRP कैसे लगवाएँ?

  1. डीलर से संपर्क करें: अपने वाहन के डीलर से स्टिकर और HSRP लगवाने के लिए संपर्क करें।
  2. ऑनलाइन बुकिंग:
    • सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स (SIAM) की वेबसाइट पर जाएँ।
    • दिल्ली परिवहन विभाग की आधिकारिक वेबसाइट (parivahan.gov.in) पर भी बुकिंग की सुविधा उपलब्ध है।
    • ऑनलाइन फॉर्म भरें, जिसमें वाहन का पंजीकरण नंबर, मालिक का नाम, और अन्य विवरण देना होगा।
  3. लागत: स्टिकर की लागत 100-200 रुपये और HSRP की लागत 400-700 रुपये (वाहन के प्रकार के आधार पर) हो सकती है।
  4. प्रक्रिया:
    • ऑनलाइन बुकिंग के बाद, आपको नजदीकी RTO या डीलर के पास अपॉइंटमेंट मिलेगा।
    • वहाँ स्टिकर और HSRP लगाया जाएगा।
    • HSRP में एक लेजर-कोडेड पिन और क्रोमियम-आधारित होलोग्राम होता है, जो इसे सुरक्षित बनाता है।

HSRP क्या है और यह क्यों जरूरी है?

हाई सिक्योरिटी रजिस्ट्रेशन प्लेट (HSRP) एक विशेष नंबर प्लेट है, जो निम्नलिखित विशेषताओं के साथ आती है:

  • सुरक्षा सुविधाएँ: इसमें एक लेजर-कोडेड पिन, क्रोमियम होलोग्राम, और “भारत” लिखा होता है।
  • चोरी रोकने में मदद: HSRP को हटाना मुश्किल होता है, जिससे वाहन चोरी की घटनाओं में कमी आती है।
  • एकीकृत डेटाबेस: HSRP का डेटा राष्ट्रीय डेटाबेस से जुड़ा होता है, जिससे वाहन की ट्रैकिंग आसान होती है।

HSRP का इतिहास:

  • 2012-13 में शुरूआत: HSRP को सबसे पहले 2012-13 में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर शुरू किया गया था।
  • 2019 में अनिवार्य: 2019 तक इसे पूरे भारत में सभी वाहनों के लिए अनिवार्य कर दिया गया।
  • दिल्ली में सख्ती: दिल्ली-NCR में प्रदूषण और सुरक्षा के मद्देनजर HSRP को सख्ती से लागू किया गया।

प्रदूषण और पुराने वाहनों पर नियम

  • 10/15 साल का नियम: दिल्ली में 10 साल से पुराने डीजल और 15 साल से पुराने पेट्रोल/CNG वाहनों को सड़कों से हटाने का नियम है। ऐसे वाहनों को स्क्रैप करना अनिवार्य है।
  • इलेक्ट्रिक वाहनों को प्रोत्साहन: सरकार इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा दे रही है, और हरे रंग की नंबर प्लेट वाले वाहनों को विशेष छूट दी जा रही है।
  • जुर्माना और स्क्रैपिंग: पुराने वाहनों को स्क्रैप न करने पर 10,000 रुपये तक का जुर्माना और वाहन जब्ती की कार्रवाई हो सकती है।

निष्कर्ष

दिल्ली में रंग-कोडित स्टिकर और HSRP अनिवार्य करना प्रदूषण नियंत्रण और वाहन सुरक्षा की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। ताजा खबरों के अनुसार, दिल्ली सरकार और ट्रैफिक पुलिस इस नियम को सख्ती से लागू कर रहे हैं। बढ़ते प्रदूषण (AQI 450) और 55 लाख से ज्यादा पुराने वाहनों की वजह से यह कार्रवाई और तेज हो गई है। सभी वाहन मालिकों को सलाह दी जाती है कि वे जल्द से जल्द अपने वाहनों पर स्टिकर और HSRP लगवाएँ, ताकि जुर्माना और परेशानी से बचा जा सके।

Disclaimer : यह लेख केवल जानकारी प्रदान करने के उद्देश्य से लिखा गया है। कृपया संबंधित सरकारी विभाग या आधिकारिक पोर्टल से जानकारी की पुष्टि जरूर करें। योजनाओं की शर्तें समय-समय पर बदल सकती हैं।

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Mukesh Joshi
Mukesh Joshi

मैं मुकेश जोशी हूँ, एक सच्चा छात्र जो हर दिन नया सीखता हूँ। मैंने MBA फाइनेंस किया है और एक फाइनेंशियल व अकाउंटिंग एक्सपर्ट हूँ। मुझे बिजनेस और टेक्नोलॉजी की ताज़ा जानकारी अपने पाठकों तक पहुँचाने का जुनून है। मेरे लेखों में आपको विश्वसनीय और रोचक जानकारी मिलेगी। मेरे साथ इस ज्ञान के सफर में जुड़ें!

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