2 अप्रैल 2025 को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत से आयात पर 26% टैरिफ लागू करने की घोषणा की। यह अमेरिका के प्रमुख व्यापारिक साझेदारों में भारत पर लगाया गया सबसे ऊंचा शुल्क है। ट्रंप ने भारत की ऊंची टैरिफ नीतियों की आलोचना करते हुए कहा कि भारत अमेरिकी सामानों पर 52% तक शुल्क लगाता है। यह कदम फरवरी 2025 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा के बाद आया, जहां उन्होंने ट्रंप से मुलाकात की थी। इस यात्रा में दोनों देशों ने व्यापार समझौते पर काम करने की सहमति जताई थी, लेकिन टैरिफ की घोषणा से भारत पर दबाव बढ़ गया है। विशेषज्ञों का मानना है कि इसका अर्थव्यवस्था पर असर सीमित होगा और भारत विकास की राह पर बना रहेगा।
ट्रंप की घोषणा और भारत पर असर
व्हाइट हाउस में ट्रंप ने कहा, “भारत बहुत सख्त है। नरेंद्र मोदी मेरे दोस्त हैं, लेकिन वे हमारे साथ ठीक व्यवहार नहीं कर रहे।” यह टैरिफ भारत के लिए झटका है, क्योंकि फरवरी में मोदी की वाशिंगटन यात्रा के दौरान भारत ने कई रियायतें दी थीं। भारत ने 8,500 औद्योगिक वस्तुओं पर शुल्क घटाया, जिसमें बोर्बन व्हिस्की और हार्ले-डेविडसन मोटरसाइकिल शामिल थे। अमेरिकी तेल, एलएनजी और रक्षा उपकरण खरीदने की पेशकश भी की गई। फिर भी, ट्रंप ने 26% टैरिफ लगाया, जो यूरोपीय संघ (20%), जापान (24%) और दक्षिण कोरिया (25%) से अधिक है। चीन पर 54% टैरिफ लगा है। इस कदम से भारत को व्यापार समझौता जल्द पूरा करने की जरूरत बढ़ गई है।
अर्थव्यवस्था पर प्रभाव
SBI रिसर्च की रिपोर्ट के मुताबिक, इस टैरिफ से भारतीय निर्यात में 3 से 3.5% की कमी आ सकती है। गोल्डमैन सैक्स, नोमुरा, मॉर्गन स्टेनली और फिच का कहना है कि भारत की बाहरी मांग पर कम निर्भरता इसे सुरक्षित रखती है। मॉर्गन स्टेनली ने कहा, “भारत की घरेलू मांग इसे कम प्रभावित बनाती है।” भारत ने निर्यात विविधीकरण और मध्य-पूर्व के रास्ते यूरोप-अमेरिका तक नए व्यापार मार्गों पर काम शुरू किया है। IMF के अनुसार, भारत जल्द ही दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनेगा। नोमुरा का मानना है कि भारत इस व्यापार संकट में एशिया की मजबूत अर्थव्यवस्थाओं में से एक है।
प्रभावित क्षेत्र और राहत
14 अरब डॉलर के इलेक्ट्रॉनिक्स और 9 अरब डॉलर के रत्न-आभूषण क्षेत्र सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे। ऑटो पार्ट्स और एल्यूमीनियम पर 26% टैरिफ नहीं लगेगा, लेकिन 25% शुल्क लागू रहेगा। व्हाइट हाउस ने बताया कि दवा (9 अरब डॉलर) और ऊर्जा उत्पादों को छूट दी गई है। फेडरेशन ऑफ इंडिया एक्सपोर्ट ऑर्गनाइजेशन के अजय साहाय ने कहा कि वियतनाम और बांग्लादेश की तुलना में कम टैरिफ से परिधान और जूते क्षेत्र को फायदा हो सकता है।
भारत-अमेरिका संबंध
2021-22 से 2023-24 तक अमेरिका भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार रहा। भारत का 18% माल निर्यात अमेरिका को जाता है। 2023-24 में अमेरिका का व्यापार अधिशेष 35.32 अरब डॉलर था। फरवरी 2025 में मोदी की अमेरिका यात्रा के बाद दोनों देशों ने 2030 तक व्यापार को 500 अरब डॉलर तक ले जाने का लक्ष्य रखा। ट्रंप और मोदी के बीच कई मुलाकातें हुई हैं, लेकिन यह टैरिफ तनाव बढ़ा सकता है।