क्या LIC पॉलिसी से होने वाली आय पर लगेगा टैक्स? जानें नए नियम

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट 2025 पेश करते हुए घोषणा की कि सरकार अगले हफ्ते नया इनकम टैक्स बिल पेश करेगी। यह नया डायरेक्ट टैक्स कोड व्यक्तिगत करदाताओं के लिए टैक्स नियमों को सरल बनाने के उद्देश्य से लाया जा रहा है। वित्त मंत्री ने बताया कि यह नया कानून “स्पष्ट, सरल और समझने में आसान” होगा। इसके तहत टैक्स कैलकुलेशन और रिटर्न फाइल करने की प्रक्रिया को आसान बनाया जाएगा।

कौन-कौन से बदलाव होंगे?

नए कानून में कई बड़े बदलाव किए जाने की संभावना है। इसमें सबसे बड़ा बदलाव फाइनेंशियल ईयर (FY) और अकाउंटिंग ईयर (AY) की अवधारणा को खत्म करना हो सकता है, जो अक्सर करदाताओं के लिए भ्रम का कारण बनता था। इसके अलावा, नए कोड में टैक्स विवादों को कम करने पर जोर रहेगा और मध्यम वर्ग के लिए टैक्स स्ट्रक्चर को बेहतर बनाने की योजना है।

क्या है नया डायरेक्ट टैक्स कोड?

डायरेक्ट टैक्स कोड का मुख्य उद्देश्य मौजूदा इनकम टैक्स एक्ट, 1961 को सरल बनाना है, जो समय के साथ कई संशोधनों के कारण काफी जटिल हो चुका है। 1961 के कानून में 23 अध्याय और 298 धाराएं हैं। नए कोड में इस पृष्ठ संख्या को 60% तक कम करने का लक्ष्य है। इसके लिए केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) ने 22 उप-समितियों का गठन किया था, जिन्होंने विभिन्न पहलुओं की समीक्षा की। इसके अलावा, अक्टूबर में केंद्र ने जनता और विशेषज्ञों से सुझाव मांगे थे, जिसमें 7,000 से अधिक सुझाव प्राप्त हुए।

नए इनकम टैक्स कानून में संभावित बदलाव

नए कानून में कई अहम बदलाव किए जा सकते हैं। फाइनेंशियल ईयर और अकाउंटिंग ईयर की अवधारणा को खत्म किया जा सकता है, जिससे टैक्स नियमों में आसानी होगी। इसके अलावा, एलआईसी पॉलिसी से आय पर 5% टैक्स लगाया जा सकता है, जो पहले टैक्स के दायरे में नहीं था। पहले टैक्स ऑडिट केवल चार्टर्ड अकाउंटेंट्स कर सकते थे, लेकिन अब कंपनी सेक्रेटरी और कॉस्ट मैनेजमेंट अकाउंटेंट्स को भी यह काम करने की अनुमति मिल सकती है।

डिविडेंड इनकम पर मौजूदा स्लैब रेट को खत्म करके इसे 15% पर स्थिर किया जा सकता है। उच्च आय वर्ग के लिए टैक्स दर को 35% पर तय किया जा सकता है, जो वर्तमान में 30% टैक्स स्लैब और अतिरिक्त सरचार्ज के रूप में लागू है। कैपिटल गेन टैक्स में भी बदलाव होने की संभावना है, जहां विभिन्न प्रकार की संपत्तियों पर लगने वाले टैक्स को समान किया जा सकता है।

क्यों है नया इनकम टैक्स बिल जरूरी?

1961 का इनकम टैक्स कानून बार-बार हुए संशोधनों के कारण बेहद जटिल हो चुका है। नए डायरेक्ट टैक्स कोड का उद्देश्य इन नियमों को सरल और प्रभावी बनाना है ताकि करदाता आसानी से नियमों का पालन कर सकें और टैक्स विवादों में कमी आए। इस कोड के लागू होने से टैक्स सिस्टम में पारदर्शिता और करदाताओं को बेहतर सुविधाएं मिलने की उम्मीद है।

मध्यम वर्ग को राहत की उम्मीद

आर्थिक सर्वे और बजट में संकेत दिए गए हैं कि इस बार के बजट में टैक्सपेयर, विशेषकर मध्यम वर्ग को राहत मिल सकती है। टैक्स ढांचे में सुधार और छूट के नए प्रावधान लाने पर विचार किया जा रहा है, ताकि लोगों की खर्च करने की क्षमता बढ़े और मंदी के प्रभाव को कम किया जा सके।

Disclaimer यह लेख केवल सूचना और शैक्षिक उद्देश्यों के लिए है। इसमें प्रदान की गई जानकारी निवेश या वित्तीय सलाह के रूप में नहीं ली जानी चाहिए। किसी भी प्रकार के निवेश निर्णय लेने से पहले, कृपया अपने वित्तीय सलाहकार या विशेषज्ञ से परामर्श करें। शेयर बाजार में निवेश जोखिम के अधीन होता है, और किसी भी प्रकार के नुकसान के लिए लेखक या प्रकाशक जिम्मेदार नहीं होंगे। इस लेख में दी गई जानकारी में बदलाव संभव है, इसलिए निवेश से पहले सभी पहलुओं पर ध्यान दें और पूरी जांच करें।

Disclaimer : यह लेख केवल सूचना और शैक्षिक उद्देश्यों के लिए है। इसमें प्रदान की गई जानकारी निवेश या वित्तीय सलाह के रूप में नहीं ली जानी चाहिए। किसी भी प्रकार के निवेश निर्णय लेने से पहले, कृपया अपने वित्तीय सलाहकार या विशेषज्ञ से परामर्श करें। शेयर बाजार में निवेश जोखिम के अधीन होता है, और किसी भी प्रकार के नुकसान के लिए लेखक या प्रकाशक जिम्मेदार नहीं होंगे। इस लेख में दी गई जानकारी में बदलाव संभव है, इसलिए निवेश से पहले सभी पहलुओं पर ध्यान दें और पूरी जांच करें। यह वेबसाइट निवेश की सिफारिशें नहीं देती। निवेश से पहले विशेषज्ञ की सलाह लें। बाजार में जोखिम संभव है।

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Mukesh Joshi
Mukesh Joshi

मैं मुकेश जोशी हूँ, एक सच्चा छात्र जो हर दिन नया सीखता हूँ। मैंने MBA फाइनेंस किया है और एक फाइनेंशियल व अकाउंटिंग एक्सपर्ट हूँ। मुझे बिजनेस और टेक्नोलॉजी की ताज़ा जानकारी अपने पाठकों तक पहुँचाने का जुनून है। मेरे लेखों में आपको विश्वसनीय और रोचक जानकारी मिलेगी। मेरे साथ इस ज्ञान के सफर में जुड़ें!

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