इंडसइंड बैंक ने अपने माइक्रोफाइनेंस पोर्टफोलियो में 600 करोड़ रुपये की गड़बड़ी की जांच के लिए ईवाई (EY) को नियुक्त किया है। यह दूसरी फोरेंसिक ऑडिट है, जो ब्याज आय से जुड़ी इस समस्या को गहराई से देखेगी। यह मामला पिछले वित्तीय वर्ष की सामान्य ऑडिट के दौरान सामने आया, जिसके बाद ऑडिटरों ने कंपनीज एक्ट 2013 की धारा 143(12) के तहत विशेष सूचना जारी की।
गड़बड़ी की जांच क्यों?
पिछले वित्तीय वर्ष की ऑडिट में माइक्रोफाइनेंस पोर्टफोलियो में 600 करोड़ रुपये की गड़बड़ी पाई गई। ऑडिटरों ने बैंक से इसकी फोरेंसिक ऑडिट करने को कहा। ईवाई, जो भारत में फोरेंसिक ऑडिट में अग्रणी है, यह जांच करेगा कि क्या कोई धोखाधड़ी हुई या कोई गलती जिम्मेदार थी। एक सूत्र ने बताया कि यह समस्या पिछले वित्तीय वर्ष की दूसरी और तीसरी तिमाही में हो सकती है।
ईवाई की भूमिका
ईवाई को यह जांच इसलिए सौंपी गई क्योंकि ग्रांट थॉर्नटन भारत (GTB) पहले से ही बैंक के विदेशी मुद्रा डेरिवेटिव्स पोर्टफोलियो की गड़बड़ियों की जांच कर रहा है। समय की कमी के कारण बैंक ने ईवाई को इस नई जांच के लिए चुना। GTB को अपनी जांच अप्रैल के अंत तक पूरी करनी है। ईवाई की सहयोगी एसआर बटलिबोई एंड कंपनी 2018-19 में बैंक का ऑडिट कर चुकी है, और मार्च 2024 में ईवाई ने डेरिवेटिव्स पोर्टफोलियो की समीक्षा में मदद की थी।
डेरिवेटिव्स में भारी नुकसान
15 अप्रैल को बैंक ने बताया कि पीडब्ल्यूसी (PwC) ने डेरिवेटिव्स पोर्टफोलियो की समीक्षा में 1,979 करोड़ रुपये के संभावित नुकसान की बात कही। यह पहले अनुमानित 1,600 करोड़ रुपये से ज्यादा है। पीडब्ल्यूसी की रिपोर्ट में कई शर्तें थीं। जून 2024 के लाभ-हानि के आधार पर, दिसंबर 2024 तक बैंक की नेटवर्थ पर 2.27% का नकारात्मक असर पड़ा।
बैंक का अगला कदम
इंडसइंड बैंक इस गड़बड़ी को गंभीरता से ले रहा है। ईवाई की जांच से यह स्पष्ट होगा कि क्या यह गलती थी या जानबूझकर की गई धोखाधड़ी। बैंक ने शेयर बाजार को इस मामले की जानकारी दी और निवेशकों को भरोसा दिलाया कि वह पारदर्शिता बनाए रखेगा।