बेंगलुरु के सॉफ्टवेयर इंजीनियर सचिन झा को अपना ज़ेरोधा ट्रेडिंग अकाउंट बंद करना पड़ा। उनकी पत्नी को एक बड़े अंतरराष्ट्रीय बैंक में नई नौकरी मिली। उस बैंक के नियमों के अनुसार, उनके कर्मचारियों के परिवार के सदस्य उन ब्रोकरेज कंपनियों में खाते नहीं रख सकते थे जिन्हें वे “भरोसेमंद” नहीं मानते थे।
बैंक ने ज़ेरोधा को “भरोसेमंद” नहीं माना क्योंकि ज़ेरोधा की कोई फिजिकल (भौतिक) बैंक ब्रांच नहीं है। बैंक के हिसाब से, फिजिकल ब्रांच न होने से ज़ेरोधा पर पूरा भरोसा नहीं किया जा सकता। इसलिए, बैंक के नियमों का पालन करते हुए, सचिन झा को अपना ज़ेरोधा खाता बंद करना पड़ा, भले ही उन्हें ज़ेरोधा का ऑनलाइन ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म पसंद था।
जब सचिन झा ने ज़ेरोधा के मालिक नितिन कामथ को ईमेल किया, तो उन्हें उम्मीद नहीं थी कि जवाब मिलेगा। लेकिन नितिन कामथ ने सिर्फ 10 मिनट में जवाब दिया!
ज़ेरोधा की टीम ने तुरंत समस्या को समझा और सचिन झा के ऑफिस से संपर्क करने की कोशिश की। उन्होंने ये भी बताया कि वो बैंकों के साथ मिलकर इस कमी को दूर करने की कोशिश कर रहे हैं।
सचिन झा ने भले ही अपना खाता बंद कर दिया, लेकिन वो ज़ेरोधा के काम से बहुत खुश हुए। उन्होंने कहा, “ज़ेरोधा ने मेरा भरोसा जीत लिया।”
ज़ेरोधा क्या है?
ज़ेरोधा एक ऐसा ऑनलाइन प्लेटफॉर्म है, जहाँ लोग शेयर बाजार में पैसे लगाते हैं। ये बाकी ब्रोकर्स से कम फीस लेता है। इसकी कोई बैंक ब्रांच नहीं है, इसलिए कुछ लोग इसे पूरी तरह से सुरक्षित नहीं मानते। लेकिन इसी वजह से ज़ेरोधा ने भारत में सस्ते ब्रोकरेज की शुरुआत की।
नितिन कामथ क्या चाहते हैं?
निखिल कामथ चाहते हैं कि ज़ेरोधा एक बैंक बने, लेकिन सरकार ने अभी तक इसकी अनुमति नहीं दी है। इसलिए ज़ेरोधा बैंक जैसी दूसरी सेवाएं नहीं दे पाता है।
ज़ेरोधा की कमाई:
2024 में ज़ेरोधा ने 4,700 करोड़ रुपये का मुनाफा कमाया और उनकी कुल कमाई 8,320 करोड़ रुपये थी।